
भारतीय जनता पार्टी अब Hindi Heartland से बाहर निकलकर उन राज्यों में अपनी सियासी जमीन मजबूत करने की तैयारी में है, जहां अब तक पार्टी को “outsider” माना जाता रहा है।
इस मिशन की कमान सौंपी गई है नितिन नबीन को — और टारगेट है West Bengal, Assam, Tamil Nadu और Kerala।
यह सिर्फ चुनावी लड़ाई नहीं, बल्कि social engineering + perception politics का बड़ा प्रयोग है।
West Bengal: सबसे कठिन, सबसे अहम मोर्चा
बीजेपी की सबसे बड़ी उम्मीदें इस बार पश्चिम बंगाल से जुड़ी हैं। कारण साफ है — TMC की मजबूत पकड़, भद्रलोक वर्ग की सांस्कृतिक राजनीति, और BJP को अब भी “दिल्ली की पार्टी” समझा जाना।
नितिन नबीन, कायस्थ समाज से आते हैं — वही समाज जिसे बंगाल के भद्रलोक ढांचे की रीढ़ माना जाता है। यही उनकी सबसे बड़ी political USP है।
भद्रलोक क्लास: चुनौती भी, चाबी भी
बोस, बसु, घोष, मित्रा, गुहा और दत्ता जैसे सरनेम वाला educated urban middle class — जिसने दशकों तक बंगाल की राजनीति, साहित्य और ब्यूरोक्रेसी को दिशा दी।
“जिस वर्ग ने कभी कम्युनिज़्म पढ़ाया, अब उसी से राष्ट्रवाद समझाने की कोशिश हो रही है।”
नितिन नबीन को इसी वर्ग से संवाद स्थापित करना है, confrontation नहीं। BJP की रणनीति साफ है — Ideology से पहले Identification

Tamil Nadu और Kerala: Long Game Politics
इन तीनों राज्यों में बीजेपी जानती है कि तुरंत सत्ता नहीं लेकिन organizational depth जरूरी है। नितिन नबीन की भूमिका यहां firefighter की नहीं, बल्कि architect की है — जो जातीय, भाषाई और सांस्कृतिक संवेदनाओं को समझते हुए पार्टी को स्वीकार्य बनाएं।
सियासी संदेश साफ: BJP अब “One Size Fits All” नहीं
नितिन नबीन की नियुक्ति यह संकेत देती है कि BJP अब सिर्फ ध्रुवीकरण या केवल आक्रामक राजनीति पर निर्भर नहीं रहना चाहती।
अब फॉर्मूला है — Local Face + Cultural Connect + Soft Messaging
आगे क्या?
अगर नितिन नबीन बंगाल के भद्रलोक में entry gate खोल पाते हैं। और साउथ में पार्टी को respectable presence दिलाते हैं तो यह BJP के लिए post-2029 blueprint साबित हो सकता है।
Fog Mode ON: Noida Expressway पर Speed Down, Challan Up!
